इस मंदिर में छिपकली को छूने केलिए भीड़ होता है। क्या आप जानते हैं इसे छूने से क्या होता है?

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रोज घर आने वाला मेहमान छिपकली है। अगर वह अपने ऊपर गिरे तो अप’सकुन मन जाता है। उसी तरह अगर हमारे ऊपर गिरे तो तुरंत नहाकर भगवान को पूजा करते है। लेकिन इस मंदिर में लोग इस छिपकली को छूने के लिए ही जाते है। यह कैसा मंदिर हैं ?इस मंदिर का इतिहास हम आज बातएंगे। छिपकली को सब लोग भ’गाना चाहता हैं मा’र’ना कोई पसंद नहीं करेगा क्यों की अगर मा’रे तो उसका पूँछ क’ट होकर त’ड़प’ता रहता हैं।

छिपकली इंसानो के ऊपर गिरने से दो’ष हैं इसलिए उस दो’ष निवारण के लिए लोग इस मंदिर में आते हैं। सैकड़ों वर्षों से, लोगों का मानना ​​​​है कि तमिलनाडु के कांची में वरदराज पेरिमाला मंदिर के सोने का और चांदी का छिपकली छूने से उनका पा’प प्रा’यश्चित होता हैं। इस मंदिर में ये सोने और चांदी का छिपकली प्रतिष्ठापन करने का भी एक इतिहास हैं। एक बार जब गौतम ऋषि अपने शिष्यों को भगवान का अभिषेक करने के लिए पानी लाने को कहते हैं, तो वे शिष्यों द्वारा लाए गए पानी में छिपकली रहता हैं ऋषि क्रो’ध होकर अपने दो शिष्य को छिपकलियां बना देते हैं।

इस श्रा’प के परिहा’र मांगने पर ऋषि गौतम ने उन्हें तमिलनाडु के यह वरदराज मंदिर जाने केलिए कहते हैं। तब वो दो शिष्य भक्ति और निष्ठा से भगवान से प्रार्थना करने पर उनका श्रा’प वि’मोच’न होके वो लोग दो छिपकलियाँ एक सोने का और दूसरा चांदी बन गए। सोने का छिपकली सूर्य का तुलना हैं और चांदी का छिपकली चंद्र का हैं। अगर लोग श्रद्धा से यहाँ पर आके इन दो छिपकलियों को छूते हो तो उनका पा’प प’रिहा’र होगा। इस मंदिर में तमिलनाडु के आलावा दूसरे राज्यों का भक्त भी आते हैं।

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